पैसा पैसा करती है***क्यों पैसे पे ये मरती है?
बेंकों में पैसा नहीं है। ए॰टी॰एम॰ पर लम्बी लम्बी क़तारें हैं। कल SBI की बड़ी ब्रांच में १०० से अधिक लोग लाइन में लगे थे और शटर डाउन कर दिया गया। लोग चिल्लाने लगे। जनता का ग़ुस्सा जायज़ है। कुछ लोग पिछले गेट पर चिल्ला रहे थे। मैंने अपने होम लोन की आख़िरी किश्त देनी थी, हाथ में कैश नहीं था, बैंक के पास डिजिटल इंटर्फ़ेस नहीं था, स्वाइप मशीन नहीं थी, और तो और, प्रश्नों के उत्तर नहीं थे। ग़ुस्सा तो बोहोत आया पर मोदी पर नहीं। अकेले प्रधानमंत्री मोदी क्या कर सकता है। उनका इरादा नेक है तभी तो इतना काला धन बाहर आया है। watsapp पे चुटकले और मज़ाक़ की भरमार है। एक साथ कितने ही नए इकानमिस्ट, अर्थशास्त्री पैदा हो गए हैं। मैं एक साधारण इंसान हूँ। कुछ कोमोन सेन्स की बातें लिख रही हूँ।
देश में तीन प्रतिशत लोग ही इंकम टैक्स भरते हैं जिसका मतलब है कि बाक़ी लोगों की आमदनी २,५०,००० रूपेय से कम है। यानी बायीस हज़ार प्रति माह से भी कम। तो लाइन में हर रोज़ कौन लोग हैं और किसका पैसा निकलवा रहें हैं? यह सच में सोचने वाली बात है। बिल तो ATM कॉर्ड से भी चुकता कर सकतें हैं। तो इतनी मारामारी क्यों है? कुछ लोग अनजान हो सकते है पर इतने सारे स्मार्ट फ़ोन वाले लोग नहीं।
बैंक का काम, इस नेक काम को ईमानदारी से करना था पर वो तो “बिल्ली के ज़िम्मे दूध” वाली कहावत सच कर गए। सारे नहीं पर बोहोत से बैंक कर्मचारी तो हवाला और काले धन के दलाल निकले। काले धन की दलाली में अपना मुँह काला करने से भी नहीं डरे। यह नहीं कि पैसा नहीं था, पैसा था पर चोरों ने मिलीभगत से काले धन के ठेकेदारों को पहुँचा दिया। आम आदमी हाय हाय करता रह गया। इसमें अकेला मोदी क्या कर सकता था?
मैं नहीं जानती कि देश द्रोह की परिभाषा क्या है पर यह जानती हूँ की देश का अहित सोचने वाला ही देश द्रोही है। सारे चोर और बैंक कर्मचारी जो काले धन की दलाली कर रहें है देश द्रोही हैं और इनको कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। इनको नौकरी से बर्खास्त कर जेल में डालना चाहिए। जिनके पास भी काला धन है उन्हें भी धन छीन कर सलाखों के पीछे डालना चाहिए।
इन दिनों मैं भी बहुत लोगों से मिली हूँ और बात करी है। सबसे ज़्यादा तकलीफ़ उनको है जिन्होंने कभी टैक्स नहीं दिया, इंकम का हिसाब नहीं रखा, शराफ़त से काम नहीं किया। आम आदमी भी अगर परेशान है तो उसे परेशानी मोदी की पॉलिसी से नहीं बैंक के लालची बंदरों की वजह से है।
जितना धन हर रोज़ पकड़ा जा रहा है उस से पता चलता है कि पैसे की कमी नहीं है। ख़ास करके २००० के नए नोट भी,,,, अगर यह नोट ATM पर मिलते रहते तो इतनी हाय तौबा ना मचती।
विपक्ष के दल और दूसरे राजनेता जो भी इस नोटेबंदी का विरोध करते हैं या आम आदमी का हितैषी बनते है वो सबसे बड़े चोर हैं। उनको आम आदमी की चिंता नहीं बल्कि अपनी पूँजी हाथ से निकल जाने की चिंता है। आने वाले दिनों में बहोत कुछ बदलने वाला है। चोर भयभीत हैं और आनन फ़ानन में जुर्म पे जुर्म करते जा रहें है।
एक ईमानदार हिंदुस्तानी को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। देश को इस वक़्त हिम्मत और धैर्य की आहुति चाहिए। अगर इस वक़्त हम ने मोदी का साथ नहीं दिया तो चोरों को टक्कर देने वाला पैदा ही नहीं होगा। !!
मैं छोटी मोटी परेशानी झेल कर अपने भारत को संवरता देखना चाहती हूँ। देशभूमि में चल रहे इस महायज्ञ में मेरी यही आहुति है।
मृदुल प्रभा writingdoll
आप सहमत हैं तो इसे share कर सकते हैं।
Very interesting blog. A lot of blogs I see these days don't really provide anything that attract others, but I'm most definitely interested in this one. Just thought that I would post and let you know.
ReplyDeleteThank you so much. Took me a while to revisit and check this out. Keep coming back and engage in a dialogue.
DeleteMridual
Hey keep posting such good and meaningful articles.
ReplyDeleteThank you... I will if I have good readers like you.
DeleteThis is the precise weblog for anybody who needs to seek out out about this topic. You notice so much its almost arduous to argue with you. You positively put a brand new spin on a subject that's been written about for years. Nice stuff, simply nice!
ReplyDeleteThank you very much. Please come back for more.
DeleteHey keep posting such good and meaningful articles.
ReplyDeleteSure...please keep reading and leaving a remark. Thank you.
DeleteAwesome work.Just wanted to drop a comment and say I am new to your blog and really like what I am reading.Thanks for the share
ReplyDelete